Tuesday, February 22, 2011

सच ! गर भ्रष्टाचार मिटाना है, तो गांधी बन कर टकराओ !!

बात आने, बुलाने की है, बात दो दिलों की है
ये रिश्ते, प्यार, तकरार, साथ साथ चलने के हैं !
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खबर नहीं थी मुकाम की, खुद ही पहुँच गए होते
खुशनसीबी हमारी, आपने दिल में बसाया हमें !
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सच ! बददुआओं से कोई कब तक बचेगा 'उदय'
सुना है, 'भगवन' के दर पे, देर है अंधेर नहीं है !
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बहुत हुआ, बैठकर कुछ सैटलमेंट कर लो यारो
सच ! अब तो मेरा भी मन डगमगाने लगा है !
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जब से देखा है तुम्हें, नींद है आती नहीं
कमबख्त दिल है कि मानता ही नहीं !
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सागर, बूँद, प्यास, तड़फ, बेचैनी, सुकूं
गुजारिश, सिर्फ एक बार मुस्कुरा दो !
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तुम, बातें, हंसी, रौशनी, रंग, राग, फूल, महक
सच ! साथ तेरा, जन्नतों से कम नहीं होता !!
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सारा बदन लकड़ी की तरह धूप में सुखाया गया होगा
तब कहीं जाके, जुबां से निकले शब्द, तीर बने होंगे !
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भ्रष्टतम भ्रष्ट लोगों के हाथों में, सत्ता की डोर है
उफ़ ! ईमानदार करे भी तो क्या करे, मजबूर है !
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बाबाजी बहुत हो गया बाजा-गाजा, असली कर्तब दिखलाओ
सच ! गर भ्रष्टाचार मिटाना है, तो गांधी बन कर टकराओ !!

1 comment:

संजय भास्‍कर said...

बाबाजी बहुत हो गया बाजा-गाजा, असली कर्तब दिखलाओ
सच ! गर भ्रष्टाचार मिटाना है, तो गांधी बन कर टकराओ !!
बहुत प्रेरणा देती हुई सुन्दर रचना ...