गुलामी के दिनों में जो सिहर जाते थे 'उदय'
उफ़ ! वो आज खुद को आजमा रहे हैं !
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दर, दीवार, घर, दुकां, गली, मोहल्ला
ये हिन्दोस्तां है, यहाँ सब मजहबी हुए हैं !
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सियासत, राजनीति, कूटनीति, हैं बिसात शतरंजी
अपनी जीत के खातिर, खुदी के मोहरे पीट देते हैं !
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काश तेरी दुआओं में पल दो पल को हम भी होते
दो चार घड़ी सुख-चैन के, हम भी जी लिए होते !
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पता नहीं इस ख़त में किसका पैगाम आया है
शायद किसी भूले को, मुझसे कोई काम आया है !
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कल डूबते डूबते, डगमगाती नइय्या, संभल गई
सच ! शायद माँ की दुआओं का असर है !
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कोई सुबह से चिल्ला रहा था, मैं हमनवा हूँ
देख चिलचिलाती धूप, जा पेड़ नीचे बैठा था !
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सुन लोकतंत्र की बातें मन मीठा हुआ था
सच ! बसर कर के देखा, कडुवा लगा है !
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चलो थकान दूर हुई, इत्मिनान से बैठें 'उदय'
सच ! सालों का कर्ज था, आज उतर गया !
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कोई इधर, तो कोई उधर की कह रहा है 'उदय'
उफ़ ! लगता है, सब मिले हुए हैं !
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बा-अदब बेचैनी टूट गई
सच ! जब तेरा पैगाम आया !
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उसकी दुआओं से, मैं सिहर गया 'उदय'
सच ! ऐसा लगा, कोई तुझे मांग रहा है !
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नेतागिरी कारोवार हुई है 'उदय'
नफ़ा-ही-नफ़ा, हर मोड़ पे चर्चा है !
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होंठ, अमृत, आँखें, झील, गेसु, आसमां
क्या करें, कोई समझाये हमें !
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मर गया, कोई बात नहीं, अफसोस न मनाया जाए
भ्रष्ट था, भ्रष्टाचारी था, उसे देशभक्त न पुकारा जाए !
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शाम से, लालकिला तो संवर जाएगा यारो
चलो किसी झोपडी में, दीपक जलाया जाए !
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क्यों न नज़रों को आजमा के देख लिया जाए
शायद ! ठहर जाएँ नजरें, हो जाए मोहब्बत !
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क्या खूबसूरती है, ज़रा ठहर, देख लूं तो चलूँ
जन्नत सा सुकूं है आँखों में, देख लूं तो चलूँ !
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चलो अच्छे-बुरे के जज्बे को आजमा लें
कोई तो होगा, जो तसल्ली देगा !
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क्यों लोग मस्त हैं, पत्थर तराश कर मूर्ती बनाने में 'उदय'
चलो आज किसी बच्चे को तराश कर, 'खुदा' बनाया जाए !
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18 comments:
शाम से, लालकिला तो संवर जाएगा यारो
चलो किसी झोपडी में, दीपक जलाया जाए !
सीधी साधी भाषा में गंभीर बात कहने का ढंग , अच्छा लगा बधाई
हर शे’र एक-से-बढकर-एक! विचारोत्तेजक!! बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
राजभाषा हिन्दी
विचार
बेबाक, सपाट, आग बरस रही है आज।
चलो अच्छे-बुरे के जज्बे को आजमा लें
कोई तो होगा, जो तसल्ली देगा
अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं
सियासत, राजनीति, कूटनीति, हैं बिसात शतरंजी
अपनी जीत के खातिर, खुदी के मोहरे पीट देते हैं !
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हर अशआर बहुत बढ़िया ...
पता नहीं इस ख़त में किसका पैगाम आया है
शायद किसी भूले को, मुझसे कोई काम आया है !
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सभी शेर बहुत सार्थक और सटीक..बहुत सुन्दर
खुबसूरत गुलदस्ता.
खुबसूरत गुलदस्ता.
खुबसूरत गुलदस्ता.
पता नहीं इस ख़त में किसका पैगाम आया है
शायद किसी भूले को, मुझसे कोई काम आया है ...
गज़ब के शेर हैं सारे ... हकीकत बयान करते हुवे ...
सार्थक और सटीक..बहुत सुन्दर
वाह !! एक अलग अंदाज़ .....बहुत खूब
'chalo kisi jhopdi me deepak jalaya jaye'
har sher apni baat badi sahajta se bayan kar raha hai.
मन कुरेदती रचना । बधाई ।
क्यों लोग मस्त हैं, पत्थर तराश कर मूर्ती बनाने में 'उदय'
चलो आज किसी बच्चे को तराश कर, 'खुदा' बनाया जाए !!
वाह बेहतरीन....बधाई !!
नेतागिरी कारोवार हुई है 'उदय'
नफ़ा-ही-नफ़ा, हर मोड़ पे चर्चा है
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ.
आग लग जाती है भ्रष्टाचारियों के कारनामे देखकर.
क्यों लोग मस्त हैं, पत्थर तराश कर मूर्ती बनाने में 'उदय'
चलो आज किसी बच्चे को तराश कर, 'खुदा' बनाया जाए !!
bahut hi gahre ehsas hai aapke.... har nazm bilkul sachchai bayan karti hui.
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