कब तलक
चलना है मुझको !
सफ़र है, रास्ते हैं, और मेरे पग
इरादों संग, निरंतर बढ़ रहे हैं !
मिलेंगी मंजिलें
रस्ते बड़े हैं
थकेंगे न कभी, ये पग मेरे हैं !
मेरे जज्बे, हौसले
पगों संग, होड़ में आगे खड़े हैं !
न सोचो तुम
थक कर, कहीं, मैं ठहर जाऊं !
ये पग
जज्बे
इरादे
हौसले
मैंने गढ़े हैं !
चलो चलते रहो, बढ़ते रहो
तुम, संग संग मेरे
पीछे रास्ते मैंने गढ़े हैं !
सफ़र
पीछे रास्ते मैंने गढ़े हैं !
सफ़र
थोड़ा बचा है, चलो चलते रहें
सुकूं की सांस लेंगे
सुकूं की सांस लेंगे
हम, पहुँच कर, मंजिलों पर !!
15 comments:
पैरों संग इरादे हों तो मंजिल दूर नहीं रहती.....
सुन्दर कविता ! साधुवाद.............
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नव वर्ष मंगलमय हो. हार्दिक सुभकामनाएँ.
अरविन्द जांगीड, सीकर (राज.)
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चरेवेति, चरेवेति।
मेरे पग
इरादों संग
निरंतर बढ़ रहे हैं !
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और यह पग बहुत मजबूती से निरंतर बढ़ते रहें यही कामना है.... नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें
आशावादी रचना अच्छी लगी ...नव वर्ष की शुभकामनायें
सुन्दर रचना।
सुन्दर कविता !
नए साल की आपको सपरिवार ढेरो बधाईयाँ !!!!
जीवन चलने का नाम...
सुन्दर कविता ! साधुवाद.............
asha aur vishwas hi manzil tak le jate hain.
nav varsh ki hardik shubhkamnayen.
मिलेंगी मंजिलें
रस्ते बड़े हैं
थकेंगे न कभी
ये पग मेरे हैं
मेरे जज्बे, हौसले
पगों संग
होड़ में आगे खड़े हैं !
हौसला हो तो मंजिल निकट ही प्रतीत होती है।
बहुत सुंदर रचना।
चलो चलते रहो
बढ़ते रहो तुम
संग संग मेरे
पीछे रास्ते मैंने गढ़े हैं
सफ़र थोड़ा बचा है
चलो चलते रहें
सुकूं की सांस, लेंगे हम
पहुँच कर, मंजिलों पर !!
इन पंक्तियों को पढ़कर मन प्रसन्न हुआ...आभार !!
चलो चलते रहो
बढ़ते रहो तुम
संग संग मेरे
पीछे रास्ते मैंने गढ़े हैं
बहुत प्रेरक प्रस्तुति..नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
सुन्दर कविता !
नव वर्ष मंगलमय हो. हार्दिक सुभकामनाएँ.
बहुत सुंदर कविता जी धन्यवाद
भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।नववर्ष की शुभकामनाएं।
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