कायर साथियों के हिम्मत की दाद तो देनी होगी
डरते भी हैं, और खंजर-नश्तर साथ भी रखते हैं !
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चले जाना मुझे तुम छोड़कर यूं
पर यादों में सफ़र लंबा लिखा है !
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कब तक बदलेंगी सोखियाँ देखें
हम चेहरे पे नजरें, टिकाये बैठे हैं !
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तुमको चहरे पे गुमां है शायद
पर हम नज़रों पे यकीं रखते हैं !
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तू हंसकर जब खफा होती है
कसम 'उदय' की सबसे जुदा होती है !
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क्यों मैं बसता हूँ इर्द-गिर्द तेरे, चंद लब्जों में कैसे बयां कर दूं
साथ जन्मों जन्मों का है, एक पल में कैसे खुदको जुदा कर लूं !
14 comments:
बहुत अच्छे अच्छे शेर कहे उदय जी।
वाह वाह कैसे बयाँ कर दूं ? करेक्ट।
बेहतरीन शेर! सुन्दर रचना, आपका साधुवाद.
तुमको चहरे पे गुमां है शायद
पर हम नज़रों पे यकीं रखते हैं !
गहरे अर्थों वाले शे’र की प्रस्तुति।
बहुत ही तेज़ शेर हैं, तीखे भी।
तुमको चहरे पे गुमां है शायद
पर हम नज़रों पे यकीं रखते हैं !
वाह..
तू हंसकर जब खफा होती है
कसम 'उदय' की सबसे जुदा होती है ..
वाह .. क्या ग़ज़ब का शेर है उदय जी ... लाजवाब ...
कायर साथियों के हिम्मत की दाद तो देनी होगी
डरते भी हैं, और खंजर-नश्तर साथ भी रखते हैं
बेहतरीन शेर...
teekhe par bahut achhe sher.
गज़ब के शेर हैं।
लाज़वाब हर एक शेर दिल पर दस्तक दे गया
डरते भी हैं, और खंजर-नश्तर साथ भी रखते हैं !
डरते हैं तभी तो खंजर साथ रखते हैं । बेहतरीन...
क्यों मैं बसता हूँ इर्द-गिर्द तेरे, चंद लब्जों में कैसे बयां कर दूं
साथ जन्मों जन्मों का है, एक पल में कैसे खुदको जुदा कर लूं !
बहुत सुन्दर अलफ़ाज़ ।
शेर ग़ज़ब का है......... उदय जी
बहुत सटीक एवं उम्दा प्रस्तुति।
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