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ईश्वर को रास आते नहीं, अब मंदिर-मस्जिद
उसे तो बस, तुम्हारे दिलों में अब जगह चाहिये ।
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ईश्वर को रास आते नहीं, अब मंदिर-मस्जिद
उसे तो बस, तुम्हारे दिलों में अब जगह चाहिये ।
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8 comments:
बढिया शेर,उम्दा।
आभार
काश यह भाव दुनिया समझ पाती.
धन्यवाद भाई.
haa haa haa haa haa haa
क़र्ज़ की फिकर में इस कदर डूबे 'मजाल',
खुदा घर आए तो उनसे किराया मांग लिया!
ati uttam....badhaai aacharya ji
@ Majaal
... vaah majaal miyaan vaah, kyaa khoob kahee !!!
bhut khub jnab thodi si laainon men hindustaan smet daalaa . akhtar khan akela kota rajsthan
Please have a look on
http://vedquran.blogspot.com/2010/08/submission-to-god-for-salvation-anwer.html
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