हम इंसा थे, या थे मिट्टी के पुतले
बारिश की बूंदों ने हमें मिट्टी बना डाला।
बारिश की बूंदों ने हमें मिट्टी बना डाला।
तुमने हमारी दोस्ती का, क्यूं इम्तिहां लिया
तुम इम्तिहां लेते रहे, और दूरियाँ बढती रहीं।
क्यूँ रोज उलझते-सुलझते हो मोहब्बत में
क्या हँसते-मुस्कुराते जीना खुशगवार नहीं ।
दुश्मनी का अब, वक्त नही है
अमन के रास्ते मे, काँटे बहुत हैं ।
9 comments:
SHYAM JI ,AAPKI TIPPNIYAN MERA JOSH DOONA KAR DETI HAIN ,RCHNAYEN SOCHNE KO MAJBOOR KARTI HAIN KI ..BANDA ITNA ACHCHHA SOCHTA KAISE HAI...SARVOTTAM LEKHAN
मिस अंडरस्टेंडिंग से कहो यूँ दोस्तों को लड़ाया न करे।
दोस्तों को दुश्मन बनाने वाले लोगों से
दोस्तों को सावधान रहना चाहिए।
ल़ड़ाई के बहाने आपने उम्दा शेर सुना दिए. धन्यवाद.....
क्यूँ रोज उलझते-सुलझते हो मोहब्बत में
क्या हँसते-मुस्कुराते जीना खुशगवार नहीं
शायद हकीकत यही है
मिस अंडरस्टेंडिंग कुछ जानी पहचानी लगती है जो इतना लड़वाती है. :)
काबिलेतारीफ है प्रस्तुति।.सारी रचनाये आपकी बहुत ही अच्छी है|
जब भी दोस्ती को आजमाएंगे दूरियां बढाती ही जाएँगी.....बहुत खूब
दोस्तों को सावधान रहना चाहिए।
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