मैं अच्छा लेखक हूं .... क्यों हूं ... मैं बहुत अच्छा लिख रहा हूं , मेरे अच्छा लिखने का अगर कोई मापदण्ड है तो वो है "टिप्पणियां" ... अरे भाई "टिप्पणियां" तब ही कोई मारेगा जब मैं अच्छा लिखूंगा, नहीं लिखूंगा तो कोई भला क्यों टिप्पणी करेगा .... बिल्कुल सही कहा ... अच्छे लिखने का मापदण्ड तो निश्चिततौर पर "टिप्पणियां" ही हैं जब "टिप्पणियां" मिल गईं तो स्वभाविकतौर पर अच्छा ही लिखा गया है , नहीं तो किसी को क्या पडी थी "टिप्पणियां" मारने की, .... किसी को खुजली तो नहीं हुई है जो बेवजह ही "टिप्पणियां" ठोक देगा .... अब ५०, १००, १५०, "टिप्पणियां" मिल रही हैं इसका सीधा-सीधा मतलब यही है कि .... मैं अच्छा लेखक हूं !!!!
... इसके अलाबा एक और मापदण्ड है अच्छा लिखने का ... वो क्या है ? ... अरे भाई आजकल "हवाले" का भी बोलबाला है ..... अब "हवाले" की दौड में हर कोई तो आ नहीं सकता, जिसकी "सैटिंग" होगी वह ही "हवाले" की दौड में दौड पायेगा ... "हवाले" की दौड में भी "सैटिंग" होती है क्या ! .... बिल्कुल होती है !! ... क्या "हम-तुम" हवाले कर सकते हैं, शायद नहीं ... वो इसलिये कि "हवाले" हर किसी की बस की बात नहीं है !!! .... चलो कोई बात नहीं "टिप्पणियां" और "हवाले" की "सैटिंग" को दूर से ही "राम-राम" कर लेते हैं ... कोशिश यही कर लेते हैं कि कुछ अच्छा ही लिख लेते हैं !!!
5 comments:
राम-राम
आपसे सहमत हूं।
behtreen kavi hai aap shyam ji
ब्लॉग-जगत में कई धुरंधर लिकखाड़ हैं और यकीनन अच्छा भी लिख रहे हैं..लेकिन उन्हें लोग कमेन्ट नहीं करते.मैं ने खुद देखा है कि मैंने जब कोई अच्छी पोस्ट की तो उस पर कमेन्ट कम मिले, अपवाद की बात अलग है.हाँ वहीँ कम वज़न दार पोस्ट को लोग आसमान पर उठाये फिरते हैं.फ़ारसी की एक कहावत है तुम मुझे हाजी कहो और मैं तुम्हें हाजी कहूं!!यही बात है गुरु!!
लेकिन इस का अर्थ यह कदापि नहीं कि हमें अच्छा नहीं लिखना चाहिए.ढेरों पोस्ट तो सिर्फ भड़काऊ शीर्षक के कारण हित हो रही है.
sabhi ki vyatha ko shabd de diye.
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