होगा 'परिवर्तन' !
चहूं ओर फ़ैले होंगे पुष्प
और मंद-मंद पुष्पों की खुशबू !
उमड रहे होंगे भंवरे
तितलियां भी होंगी
और होगी चिडियों की चूं-चूं !
और होगी चिडियों की चूं-चूं !
चहूं ओर फ़ैली होगी
रंगों की बौछार !
आज नहीं तो कल
होगा 'परिवर्तन' !
न कोई होगा हिन्दु-मुस्लिम
न होगा कोई सिक्ख-ईसाई
सब के मन 'मंदिर' होंगे
और सब होंगे 'राम-रहीम' !
न कोई होगा भेद-भाव
न होगी कोई जात-पात
सब का धर्म, कर्म होगा
और सब होंगे 'कर्मवीर' !
आज नहीं तो कल
होगा 'परिवर्तन' !!
14 comments:
न कोई होगा भेद-भाव
न होगी कोई जात-पात
सब का धर्म, कर्म होगा
और सब होंगे "कर्मवीर"
आज नहीं, तो कल
होगा "परिवर्तन"।
वाह कितनी सुन्दर कल्पना की है इस कविता के माध्यम से। कामना करते हैं कि कवि का ये स्वपन अवश्य पूरा हो। शुभकामनायें दिल को छू गयी आपकी रचना।
परिवर्तन अवश्यम्भावी है ।
आज नहीं, तो कल
होगा "परिवर्तन"
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
काबिलेतारीफ बेहतरीन
hame bhi yahi umeed hai aaj nahi tokal hoga parivartan aur umeed hai hum is parivartan ka hissa honge...
आज नहीं, तो कल
होगा "परिवर्तन"
चहूं ओर फ़ैले होंगे पुष्प
और मंद-मंद पुष्पों की खुशबू
उमड रहे होंगे भंवरे
तितलियां भी होंगी
और होगी चिडियों की चूं-चूं
चहूं ओर फ़ैली होगी
रंगों की बौछार
Bahut khoob..sakaratmak rachana!
मैं भी आपकी सकारात्मक सोच में आपके साथ हूं.
अमीन ....
काश ये परिवर्तन जल्दी हो ... बहुत अच्छा लिखा है ...
न कोई होगा भेद-भाव
न होगी कोई जात-पात
सब का धर्म, कर्म होगा
और सब होंगे "कर्मवीर"
आज नहीं, तो कल
होगा "परिवर्तन"।
...... बहुत अच्छा ,काबिलेतारीफ.
चहूं ओर फ़ैले होंगे पुष्प
और मंद-मंद पुष्पों की खुशबू
उमड रहे होंगे भंवरे
तितलियां भी होंगी
और होगी चिडियों की चूं-चूं
चहूं ओर फ़ैली होगी
रंगों की बौछार
विश्वास हो तो अवश्य ही होगा परिवर्तन
बहुत अच्छी विचारो्त्तेजक कविता।
आभार
और मैं काजल जी के साथ :)
बहुत ही ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! इस उम्दा रचना के लिए बधाई!
सुन्दर , आशावादी रचना ।
उम्मीद करते हैं वो दिन ज़ल्दी ही आये ।
न कोई होगा हिन्दु-मुस्लिम
न होगा कोई सिक्ख-ईसाई
सब के मन "मंदिर" होंगे
और सब होंगे "राम-रहीम"
bahut acchhi rachna...
in lines ko padh kar ek gana yaad aya..
na hindu..na musalmaan banega..
insan ki aulad he tu insan banega..
aur ham aakash me isi aasha se dekhte hai ki ab vo parivartan ka samay aa raha he.
bahut acchhi rachna.
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