नेकी, कौन-सी नेकी
शायद वही तो नहीं, जिसे लोग कहते हैँ
नेकी कर दरिया में डाल !
आज के समय में नेकी, किसके लिये नेकी
शायद उनके लिये
जिन्हें नेकी का मतलब पता नहीं !
या फिर उनके लिये,
जिन्हें ज़रूरत तो है, पर जिनकी नज़रें बदल चुकी हैं !
अब नेकी करने वाले, 'ख़ुदा के बन्दों' को भी
मतलबी समझने लगे हैं लोग !
नेकी, अब छोड़ो भी नेकी
अब वो समय नहीं रहा, जब नेकी करने वालों को
'ख़ुदा का बन्दा' कहा करते थे लोग !
अब ज़रूरत मन्दों की, नज़रें बदल रही हैँ
ज़रूरत तो है,
सामने ख़ुदा का बन्दा भी है, पर क्या करेँ,
हालात ही कुछ ऐसे हैं,
देखने वालों को
ख़ुदा के बन्दे भी, मतलबी दिख रहे हैँ !
अब समय नहीं रहा,
नेकी करने का, दरिया में डालने का
लोग अब -
नेकी करने का मतलब, कुछ और ही समझने लगे हैं !
सामने 'ख़ुदा का बन्दा' तो क्या,
ख़ुद,
'ख़ुदा' भी आ जाये, तब भी ... !!
20 comments:
ख़ुदा के बन्दे, तो हम सब है, लेकिन हम बन्दे बन भी रहे है? क्या हमारे काम इंसानओ जैसे है? क्या हम ने कभी नेकी कि है????
तभी तो नेकी कर ओर बम्बे जा कर दरिया मै डाल
अब क्या किया जाए .....नेकी करने वालों को तो तसल्ली रहती है कि चलो एक अच्छा काम कर लिया....लेकिन जिस के लिए यह नेकी की जाती है वह समझता है कि ये तो........बाकि आप समझ गए होगें....
संवेदनशील रचना।
अच्छी प्रस्तुति ,-शुभकामनायें
भावों को इतनी सुंदरता से शब्दों में पिरोया है
सुंदर रचना....
Sanjay kumar
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
behtrin line
Nekee karne waale phirbhi milhee jata hain...ye ek achha sach hai...
haan , bhai ab to bas ne ki ke jagah " naa ki " men hi bhalaai hai - aacharya ranjan
haan , bhai ab to bas ne ki ke jagah " naa ki " men hi bhalaai hai - aacharya ranjan
उदय जी, क्या बात कह रहे हैं..
इतनी तल्खी... शायद सही कह रहे हैं आप.
- सुलभ
बहुत अच्छा लिखा आपने . अच्छा लगा .
सच है ...... अब तो अगर खुदा भी आ जाए तो नेकी नही होगी इस कलयुग मैं .............. पर खुदा ओ तो पता है ये कलयुग है ...... बहुत अच्छा लिखा है आपने ..... अच्छा व्यंग है ......
बहुत खूब अच्छी अच्छी रचना
बहुत बहुत आभार
अच्छा है.
शुक्रिया। मेरे भाई।
मैं आपकी बात से सहमत नहीं। जिस पर नेकी की जाती है वह देर सबेर समझता जरूर है... भले ही वो सामने से इन्कार करे पर उसकी आत्मा उसे एहसास दिलाती जरूर है। हॉं नेकी करने वाला यदि यह
सोंचे कि मैंने जिसके लिए इतना किया उसने मेरे लिए क्या किया तभी तकलीफ होती है। इसीलिए कहा गया है.. नेकी कर दरिया में डाल।
प्रिय ब्लॉगर बंधू,
नमस्कार!
आदत मुस्कुराने की तरफ़ से
से आपको एवं आपके परिवार को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
Sanjay Bhaskar
Blog link :-
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
सुन्दर अभिव्यक्ति है बधाई
चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मै चौखटें ऊंची कर नही पाता"
Aapki Punch Line Ne Dil Jeet Liya...
waah, kitni katu satya.....ghaw kiya gambheer
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