"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
रोज सपनों मे तुम यूँ ही चले आते होकहीं ऎसा तो नहीं, सामने आने से शर्माते हो।
Post a Comment
No comments:
Post a Comment