Tuesday, April 28, 2009

बोल-अनमोल

“ भोग व योग दोनों का प्रतिफल संतुष्टि प्रदायक है किंतु भोग का प्रतिफल क्षणिक व व्यक्तिगत है और योग का प्रतिफल विस्तृत व सामाजिक है।”

2 comments:

BrijmohanShrivastava said...

वैसे तो दोनों के ही प्रतिफल व्यक्तिगत होने चाहिए

mark rai said...

sahi kaha bhog to kshanik hai hi...