"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
मिटटी के खिलौने हैं हम सब, मिटटी में ही रचते-बसते हैंजिस दिन टूट-के बिखरेंगे, मिटटी में ही मिल जायेंगे ।
बिल्कुल सच बात है लेकिन मृत्यु से पूर्व बहुत कम लोग यह बात समझ पाते हैं!---चाँद, बादल और शामगुलाबी कोंपलें
satya kathan hai.
is kathan me hi to saara jahan hai ...
Post a Comment
3 comments:
बिल्कुल सच बात है लेकिन मृत्यु से पूर्व बहुत कम लोग यह बात समझ पाते हैं!
---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
satya kathan hai.
is kathan me hi to saara jahan hai ...
Post a Comment