जब से, उनकी तारीफ़ का जिम्मा, उन्ने लिया है
ठीक तब से, उनमें उन्हें, भगवान नजर आते हैं ?
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पत्थरों को कोई पत्थर कह के न पुकारे 'उदय'
वे खुद कह रहे हैं, … उनके लोग कह रहे हैं ?
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'आम आदमी' न तो कभी मरा है, और न ही कभी मरेगा
चिंता तो, आज हमें भी है 'उदय', कुछेक 'ख़ास' लोगों की ?
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उन्हीं से मुहब्बत, और उन्हीं से तकरार
ए दिल, बता आखिर तू चाहता क्या है ?
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उफ़ ! उनकी ढलती उम्र पे तो कोई तरस खाये
बस, उन्हें एक आख़िरी मौक़ा और मिल जाये ?
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झूठी पत्तलों को भी, चाटने से, वो बाज नहीं आ रहे हैं
सत्ता में बने रहने के लिए दर दर भटक रहे हैं आज ?
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