एक बार, एकाद बार तुम हमें भी आजमा लो
फिर, शायद, तुम्हारा… टेस्ट ही बदल जाए ?
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बात उनकी नहीं है, और न ही उनकी बात है
हमें तो लगता है सिक्के दोनों ही खोटे हैं ??
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जब सब अपनी-अपनी-अपनी पे हैं
तो फिर 'उदय', वे भी अपनी पे हैं ?
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सवाल ये नहीं है कि वो शेर हैं या नहीं
सवाल ये है कि उनकी पूंछ कहाँ है ??
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गर, तमाम तरह के हथकंडों के बाद भी, वे नाकामयाब रहे तो
'खुदा' ही जाने किसके सिर फूटेगा उनकी नाकामी का ठीकरा ?
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1 comment:
सवाल ये नहीं है कि वो शेर हैं या नहीं
सवाल ये है कि उनकी पूंछ कहाँ है ??
वाह....पूरी तरह से आग उगलती रचना.....आभार
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