लो, आज हम भी उनकी बातों में आ गए
यह जानते हुए भी, कि - वे दगाबाज हैं ?
…
जिनकी खुद की, अकल नहीं है ठिकाने पे
चेले उतारू हैं उन्हीं को गुरु बनाने पे ???
…
इतनी हाय-तौबा वो भी सत्ता के लिये
उफ़ ! उफ़ !! उफ़ !!! पहले नहीं देखी ??
…
मैं शेर नहीं हूँ …
कम से कम … बब्बर शेर तो नहीं हूँ
फिर भी,
अगर,
उनको लगता है …
कि -
उनका नेता
गीदड़ …
होकर भी शेर है … उनकी मर्जी ???
…
सुनो यारो तुम मुझपे यकीं मत करना
दिल जो कहता है तुम वही करना ???
…
1 comment:
बहुत खूब..
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