जुबां को नर्म रख, लहू को गर्म रख
मंजिलें हैं सामने, पग मजबूत रख !
…
न तो वो उत्तम हैं 'उदय', और न ही हैं सर्वोत्तम
बस, उनकी …
खुद की, अपनी डफली है और अपना राग है ???
…
कुछ ज्यादा ही गड्ड-मड्ड हो गई है उनसे
वर्ना, खिचड़ी भी स्वादिष्ट बनती है 'उदय' ?
…
कोई बात नहीं, कोई अफसोस नहीं
जंग जारी है, अबकि उनकी बारी है !
…
वे खुद ही खुद की मट्टी पलीत करवा रहे हैं
इसमें
कहीं भी, किसी भी …
'आम आदमी' का दोष नहीं है 'उदय' ????
…
No comments:
Post a Comment