Monday, March 31, 2014

मट्टी पलीत ...

जुबां को नर्म रख, लहू को गर्म रख 
मंजिलें हैं सामने, पग मजबूत रख !
… 
न तो वो उत्तम हैं 'उदय', और न ही हैं सर्वोत्तम 
बस, उनकी … 
खुद की, अपनी डफली है और अपना राग है ???
… 
कुछ ज्यादा ही गड्ड-मड्ड हो गई है उनसे 
वर्ना, खिचड़ी भी स्वादिष्ट बनती है 'उदय' ?
कोई बात नहीं, कोई अफसोस नहीं 
जंग जारी है, अबकि उनकी बारी है !
वे खुद ही खुद की मट्टी पलीत करवा रहे हैं 
इसमें 
कहीं भी, किसी भी … 
'आम आदमी' का दोष नहीं है 'उदय' ???? 
… 

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