हम तो थक गए 'उदय', उन्हें अपनी बुराइयां बता-बता के
फिर भी, न जाने क्यूँ उन्हें, हम पे एतबार अब भी है ???
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सबूत दो, गवाही दो, …
वर्ना, चोर को चोर कहना भी जुर्म है 'उदय' ?
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खौफ, दहशत, जिन्दगी, मौत, सन्नाटा, सुरक्षा, आश्वासन
नक्सल … … … … … बनाम … … … … … सरकारें ?
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सच ! राजनीति का जो हाल है, वो है तो है 'उदय'
मगर अफसोस, पत्रकारिता की भी वही चाल है ?
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उनकी उचक्काई के किस्से सरेआम हैं 'उदय'
फिर भी, वो कहते हैं, कि, वो चौथे चक्के हैं ?
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1 comment:
सभी अपनी धुन में मगन हैं,
अपने करे हुये की लगन है।
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