पहले कहा उसने
कोई दुख
कोई गम
कोई अपनी परेशानी बता,
फिर कहता है -
छोड़
तू किसी और की, कोई एक अच्छी जुबानी बता
बात हो रही थी अपने 'खुदा' से
इसलिये चुप था
वर्ना, अब तक ... कब का ....
हाल-चाल
ठीक कर चुका होता,
एक हद होती है
तकलीफों में तकलीफ देने की
शायद, चैन छीन कर भी सुकूं नहीं मिला उसको
जो अब
मसखरेपन पर उतर आया है
'खुदा' है
चुप हूँ
ये भी कोई इम्तहान हो शायद ?
~ उदय ~
कोई दुख
कोई गम
कोई अपनी परेशानी बता,
फिर कहता है -
छोड़
तू किसी और की, कोई एक अच्छी जुबानी बता
बात हो रही थी अपने 'खुदा' से
इसलिये चुप था
वर्ना, अब तक ... कब का ....
हाल-चाल
ठीक कर चुका होता,
एक हद होती है
तकलीफों में तकलीफ देने की
शायद, चैन छीन कर भी सुकूं नहीं मिला उसको
जो अब
मसखरेपन पर उतर आया है
'खुदा' है
चुप हूँ
ये भी कोई इम्तहान हो शायद ?
~ उदय ~
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