Tuesday, May 22, 2018

यही जीवन है .... !

वक्त हमेशा हवा की गति के साथ उड़ते रहता है, दौड़ते रहता है ... उस पर किसी का जोर नहीं है किसी का नियंत्रण नहीं है .... यदि हम उसके साथ कदम मिलाने से जरा भी चुके तो समझो हम खो गए, बिछड़ गए ....

बिछड़ने के बाद हम कहाँ होंगे, कितने पीछे होंगे, किसके साथ होंगे .... ईश्वर जाने ... !

इसलिए .. सदा ... वक्त की रफ्तार को पकड़े रहो, उसे अपनी आंखों से ओझल मत होने दो .... जीवन एक दौड़ है और वक्त साँसें हैं, वक्त कदम हैं, वक्त चाल है ...

जिस प्रकार कभी-कभी हवा रुक जाती है अर्थात सन्नाटे का रूप ले लेती है .. तो ठीक इसके विपरीत कभी-कभी तूफान का रूप भी ले लेती है अर्थात बवंडर बन जाती है ...

सन्नाटे और बवंडर जैसे क्षण अक्सर हमारे जीवन में आते -जाते रहते हैं ... इन क्षणों में हमें संयम से काम लेना है ..

संयम और हमारी एकाग्रता हमें हर सन्नाटे व बवंडर से पार ले जाएंगे .. और ....

वक्त .. एक दिन ... हमें हमारी मंजिल पर छोड़ कर .. हमें सैल्यूट मारते हुए आगे निकल जाएगा .... यही जीवन है ..... !

~ उदय 

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