Saturday, March 31, 2018

चीख !

चीख !
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किसी की चीख तुम्हें पुकार रही है
वहाँ .. उस खंडहर से ...

तुम जाओगे न ?

शायद तुम्हारी हिम्मत
किसी छेड़छाड़, बलात्कार, हत्या को रोक दे

हिम्मत करोगे न ?

या फिर, आस-पास से गुजर रहे
अन्य लोगों की तरह
तुम भी, चीख को अनसुना मान गुजर जाओगे ??

जोखिम तो है
चीख सुनने में, हिम्मत दिखाने में ..

पर तुम, कभी, अपने आप से झूठ नहीं बोल पाओगे
कि -
तुमने चीख सुनी ही नहीं ???

- श्याम कोरी 'उदय'

1 comment:

'एकलव्य' said...

निमंत्रण

विशेष : 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ प्रतिष्ठित साहित्यकार आदरणीया देवी नागरानी जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।