गर तुम कहो तो, किसी दिन तुम्हें भी आजमा लें
ताकि तुम्हें भी एहसास हो जाए, कितने गहरे हो ?
...
लगा के आग, अब क्या ढूंढते हो यारा
राख में दफ़्न हो गए हैं, वो राज सारे ?
...
मिला है क्या तुम्हें, आज .......... रूठ कर हमसे
हमने आज के दिन के लिये ही तो तुम्हें चाहा था ?
2 comments:
अच्छे शेर हैं !
जिन्दगी में जोर आजमाइश चलती रहती है।
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