Thursday, November 15, 2012

राज ...


गर तुम कहो तो, किसी दिन तुम्हें भी आजमा लें 
ताकि तुम्हें भी एहसास हो जाए, कितने गहरे हो ? 
... 
लगा के आग, अब क्या ढूंढते हो यारा 
राख में दफ़्न हो गए हैं, वो राज सारे ?
... 
मिला है क्या तुम्हें, आज .......... रूठ कर हमसे 
हमने आज के दिन के लिये ही तो तुम्हें चाहा था ?

2 comments:

देवदत्त प्रसून said...

अच्छे शेर हैं !

प्रवीण पाण्डेय said...

जिन्दगी में जोर आजमाइश चलती रहती है।