Tuesday, January 3, 2012

शोर ...

शोर
हुआ था बहुत
कान
फटने लगे थे !
मातम का है
या चाहे
जैसा भी सन्नाटा है
रहने दो
कुछ घड़ी इसे तुम
रहने दो !!

5 comments:

Padm Singh said...

आपाधापी से और शोरगुल से उकताया मन... पल भर के सुकून के लिए बेताब होता है। जबकि इसे पता नहीं एकान्त और शान्ति अंतर के तूफानों को और भी उघाड़ देता है।

प्रवीण पाण्डेय said...

शोर के बाद सन्नाटा सुहाता है।

Shah Nawaz said...

वाह! कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया आपने!

रश्मि प्रभा... said...

mahsoos kerne do

***Punam*** said...

शोर से ज्यादा सन्नाटा ही अच्छा है...