उम्मीदों के चिराग न बुझने देना 'उदय'
सच ! गुप्प अंधेरों से भी गुजर जाएंगे !!
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सच ! तेरे इकरार की, इतनी भी जल्दी नहीं है
खुशी इस बात की है, तूने मुस्कुराया तो सही !
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सच ! तूफानों के रुख से लड़ना, तूफानों से भिड़ना है
इतना आसां नहीं है फिर भी, लड़ते लड़ते बढ़ना है !!
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भ्रष्टाचार कुछ "ले - दे" कर, ख़त्म तो हो जाएगा
लेकिन, मौक़ा मिलते ही फिर से जवां हो जाएगा !
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कौन कहता है कि दिन भर मिलते रहो हमसे
पर दो-चार पल पे, हमारा हक़ तो बनता है !!
2 comments:
वाह! बहुत सुन्दर....धन्यवाद|
जीवन अपना वर्ष हमारे,
छिपे हुये जो, हर्ष हमारे।
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