संकट के समय
सभी जानवर एक हो जाते हैं
किन्तु ऐंसा नजारा
इंसानों में नजर नहीं आता !
निजी स्वार्थ -
इसका एक कारण है
लेकिन
निजी स्वार्थ -
कब तक हितकर होता है
खुद के जीते तक !
क्या यह भी एक भेद है ?
इंसानों -
और जानवरों में !!
जो
बुद्धि, विवेक से भिन्न है ??
4 comments:
आहुति बन प्रस्तुत रहते नर।
han bhinntaye aur bhi hain jo dushkar hain.
सुन्दर...
सादर.
बेहतरीन
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