Tuesday, December 13, 2011

निजी स्वार्थ ...

संकट के समय
सभी जानवर एक हो जाते हैं
किन्तु ऐंसा नजारा
इंसानों में नजर नहीं आता !

निजी स्वार्थ -
इसका एक कारण है
लेकिन
निजी स्वार्थ -
कब तक हितकर होता है
खुद के जीते तक !

क्या यह भी एक भेद है ?
इंसानों -
और जानवरों में !!
जो
बुद्धि, विवेक से भिन्न है ??

4 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

आहुति बन प्रस्तुत रहते नर।

अनामिका की सदायें ...... said...

han bhinntaye aur bhi hain jo dushkar hain.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

सुन्दर...
सादर.

M VERMA said...

बेहतरीन