तुम अब न ठहरो, हमारे इंतज़ार में
शायद ! अब लौट पाना मुमकिन नहीं लगता !!
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हल्ला है, आज ही के दिन मंदिर पे हमला हुआ था
शुक्र मनाओ कि मूर्तियाँ चोरी नहीं हुईं !!
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अब हम उनको खटकते हैं तो खटकते रहें
हम न बदलेंगे, वे चश्मा पहन लें !!
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आज फिर एक शख्स जूती बन गया है
अदब से, जा पैरों में बैठा है !!
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उनकी नजर में शब्दों से बड़े शब्दकार हुए हैं 'उदय'
तब ही तो, बड़े शब्दों को छोड़ के छोटों पे फ़िदा हैं !
1 comment:
चश्में में सब बदला बदला।
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