Tuesday, December 13, 2011

... वे चश्मा पहन लें !!

तुम अब न ठहरो, हमारे इंतज़ार में
शायद ! अब लौट पाना मुमकिन नहीं लगता !!
...
हल्ला है, आज ही के दिन मंदिर पे हमला हुआ था
शुक्र मनाओ कि मूर्तियाँ चोरी नहीं हुईं !!
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अब हम उनको खटकते हैं तो खटकते रहें
हम न बदलेंगे, वे चश्मा पहन लें !!
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आज फिर एक शख्स जूती बन गया है
अदब से, जा पैरों में बैठा है !!
...
उनकी नजर में शब्दों से बड़े शब्दकार हुए हैं 'उदय'
तब ही तो, बड़े शब्दों को छोड़ के छोटों पे फ़िदा हैं !

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

चश्में में सब बदला बदला।