चलते चलते, राह में
जब
नजर आती है, हमें
एक उम्मीद की किरण !
किरण के -
नजर आते ही, नजर आने पर ही
शुरू होता है
पुन: एक नया सफ़र !
घोर अंधेरे को चीरते हुए
इस पार से, उस पार की ओर
उम्मीदों
आशाओं
जिज्ञासाओं के संग !
नए उत्साह
नए कदमों
नई ऊर्जा के संग !!
हताशाओं
सिर्फ, सिर्फ आगे की ओर ...
पुन: एक नया सफ़र !
घोर अंधेरे को चीरते हुए
इस पार से, उस पार की ओर
उम्मीदों
आशाओं
जिज्ञासाओं के संग !
नए उत्साह
नए कदमों
नई ऊर्जा के संग !!
हताशाओं
मायुशियों
को पीछे छोड़कर !!
सिर्फ, सिर्फ आगे की ओर ...
कदम-दर-कदम
छोटे-छोटे कदमों के संग
हम बढ़ते हैं
अंधकार से, उजाले की ओर !!
छोटे-छोटे कदमों के संग
हम बढ़ते हैं
अंधकार से, उजाले की ओर !!
6 comments:
आगे
सिर्फ आगे
सिर्फ आगे की ओर ...
कदम-दर-कदम
छोटे-छोटे कदमों के संग
हम बढ़ते हैं
अंधकार से ... उजाले की ओर !!
बहुत सही !!
बहुत अच्छी कविता , बधाई .
लाजवाब प्रस्तुति .....अति सुन्दर
धीरे धीरे, पर हम प्रकाश की ओर बढ़ें।
wonderful poem and message
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये
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