न दोस्ती, न वफ़ा, न बेवफाई का सबब
उफ़ ! सांथ चलता है, बस अकेलापन !!
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बड़ी जालिम हुई है मोहब्बत मेरी
उफ़ ! हर घड़ी, बड़े अदब से बात करती है !!
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यही आलम, यही फ़साने हुए हैं मोहब्बत के
उफ़ ! किसी को जां भी दो, तो सलीके से दो !
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सच ! किसी की सादगी की इन्तेहा तो देखिये
वो हमेशा हाँ ही कहती है, हमें न ही लगता है !
2 comments:
कुछ नहीं, तनहाई तो साथ रहेगी ही।
kyaa baat hai stymev jayte ...........akhtar khan akela kota rajsthan
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