Wednesday, August 10, 2011

... सांथ चलता है, बस अकेलापन !!

न दोस्ती, न वफ़ा, न बेवफाई का सबब
उफ़ ! सांथ चलता है, बस अकेलापन !!

...
बड़ी जालिम हुई है मोहब्बत मेरी
उफ़ ! हर घड़ी, बड़े अदब से बात करती है !!
...
यही आलम, यही फ़साने हुए हैं मोहब्बत के
उफ़ ! किसी को जां भी दो, तो सलीके से दो !
...
सच ! किसी की सादगी की इन्तेहा तो देखिये
वो हमेशा हाँ ही कहती है, हमें न ही लगता है !

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

कुछ नहीं, तनहाई तो साथ रहेगी ही।

आपका अख्तर खान अकेला said...

kyaa baat hai stymev jayte ...........akhtar khan akela kota rajsthan