हर बार की तरह ...
इस बार भी
वो खामोशी से गुजर गए करीब से
पर ...
उन्ने कुछ कहा - मैनें कुछ सुना
ऐसा लगा ... दिल को .....
शायद ... ये भ्रम हो ..... ?
क्योंकि -
प्यार में ... अक्सर .... मन ही मन .....
बहुत कुछ कह देते हैं - बहुत कुछ सुन लेते हैं ... ??
इस बार भी
वो खामोशी से गुजर गए करीब से
पर ...
उन्ने कुछ कहा - मैनें कुछ सुना
ऐसा लगा ... दिल को .....
शायद ... ये भ्रम हो ..... ?
क्योंकि -
प्यार में ... अक्सर .... मन ही मन .....
बहुत कुछ कह देते हैं - बहुत कुछ सुन लेते हैं ... ??
3 comments:
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' १९ मार्च २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
निमंत्रण
विशेष : 'सोमवार' १९ मार्च २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीया 'पुष्पा' मेहरा और आदरणीया 'विभारानी' श्रीवास्तव जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।
अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
प्रेम की भाषा ... मौन ...
राह दिल से दिल तक ...
प्रेम अनकहा ही रह जाता है कई बार
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