बदलते वक्त के साथ तुम भी बदल रहे हो
क्यूँ ऐंसा .. तुम सितम कर रहे हो
संग जीने-मरने के वादे ...
क्यूँ .. इतनी बेरहमी से तोड़कर जा रहे हो,
हालात ही तो बदले हैं
मैं तो नहीं बदला !
हम मुफलिसी के दौर के साथी हैं
कितनी ठंडें ..
कितनी बरसातें ..
कितनी गर्मियाँ ..
हमनें .. कभी पीपल तले .. तो कभी बस अड्डों पे ...
संग-संग काटी हैं,
आज ..
मेरे पाँवों तले से मखमली कालीन क्या खिसक गई
तुम मुँह मोड़ कर जाते हो,
ज़रा रुको .. ठहरो .. सुनो ...
आज भी .. मैं वही हूँ .. जो कल था ...
हौसले .. कर्मठता .. इरादे .. सोच ... सब वही हैं
आज .. सिर्फ .. वक्त ही तो बदला है ... ?
~ श्याम कोरी 'उदय'
क्यूँ ऐंसा .. तुम सितम कर रहे हो
संग जीने-मरने के वादे ...
क्यूँ .. इतनी बेरहमी से तोड़कर जा रहे हो,
हालात ही तो बदले हैं
मैं तो नहीं बदला !
हम मुफलिसी के दौर के साथी हैं
कितनी ठंडें ..
कितनी बरसातें ..
कितनी गर्मियाँ ..
हमनें .. कभी पीपल तले .. तो कभी बस अड्डों पे ...
संग-संग काटी हैं,
आज ..
मेरे पाँवों तले से मखमली कालीन क्या खिसक गई
तुम मुँह मोड़ कर जाते हो,
ज़रा रुको .. ठहरो .. सुनो ...
आज भी .. मैं वही हूँ .. जो कल था ...
हौसले .. कर्मठता .. इरादे .. सोच ... सब वही हैं
आज .. सिर्फ .. वक्त ही तो बदला है ... ?
~ श्याम कोरी 'उदय'
8 comments:
''लोकतंत्र'' संवाद के प्रथम अंक में आप सभी महानुभावों का स्वागत है।
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'बृहस्पतिवार' २८ दिसंबर २०१७ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
''लोकतंत्र'' संवाद के प्रथम अंक में आप सभी महानुभावों का स्वागत है।
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'बृहस्पतिवार' २८ दिसंबर २०१७ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
सुंदर भाव!
आदरणीय उदय जी -- बहुत समय पहले आपको पढ़ा था | आज फिर से आपके ब्लॉग पर आ आपकी रचना पढने का सौभाग्य मिला |बदलते वक्त के साथ किसी का बदलना कोई नयी बात नहीं | पर आहट मन को बखूबी शब्दांकित किया आपने | हार्दिक शुभकामनाओं के साथ ध्रुव जी के ब्लॉग के प्रथम अंक में आपकी रचना को चुने जाने के लिए आपको बधाई | सादर ------
बेहद सराहनीय
मेरी तरफ से शुभकामनाएं
ब्लॉग जगत के श्रेष्ठ रचनाओं का संगम "लोकतंत्र" संवाद ब्लॉग पर प्रतिदिन लिंक की जा रही है। आप सभी पाठकों व रचनाकारों से अनुरोध है कि आप अपनी स्वतंत्र प्रतिक्रिया एवं विचारों से हमारे रचनाकारों को अवगत करायें ! आप सभी गणमान्य पाठकों व रचनाकारों के स्वतंत्र विचारों का ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
बहुत सुन्दर ! वक्त के साथ लोग भी मौसमों की तरह बदल जाते हैं ! यह एक चिरंतन सत्य है ! बहुत गहन रचना ! शुभकामनाएं !
वाह ! सुंदर प्रस्तुति ।
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