Friday, December 29, 2017

मेरी भी .. शुभकामनाएँ ... !

लो दोस्तो ... मैं चला ..
गुजरा वक्त हूँ .. गुजरता साल हूँ .. जा रहा हूँ ...

तुम ..
हाँ तुम .. डूबे रहो ... नये साल के जश्न में ..

नदियों में ..
झरनों में ..
समुन्दरों के किनारों में ..
पहाड़ों में ..
गुफाओं में .. जंगलों में ..
रेस्ट हाऊसों में .. स्टार होटलों में ..

मैं चला .. बाय-बाय दोस्तो .. बाय-बाय ... !

पर हाँ .. जश्न में .. इतना मत भूल जाना ...
कि -
मैं .. तुम्हारा अतीत हूँ .. गुजरा वक्त हूँ ... ?

तुम्हारी .. ढेरों अच्छाईयाँ-बुराईयाँ .. समेटे हुआ हूँ ...
तुम्हारे काले चिट्ठों के पिटारे भी तो ..
मेरे जेहन में दफ़्न हैं ... !!

तुम .. हाँ तुम ... मुझे ..
भूलकर भी भूलने की गुस्ताख़ी मत करना .. वर्ना ... !!!

खैर .. छोड़ो .. जाने दो ...
आज नहीं ...
आज तुम .. जश्न में डूबे हुये हो ..
आज तो .. तुम्हें ...
मेरी भी .. शुभकामनाएँ ... ।।

~ श्याम कोरी 'उदय'

6 comments:

'एकलव्य' said...

आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'बुधवार ' ०३ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

Ritu asooja rishikesh said...

मैं चला दोस्ती गुज़रा वक़्त हूँ साल हूँ
तुम डूबे रहो जश्न में
सत्य रचना

Jyoti khare said...

वाह
सुंदर रचना
शुभकामनाएँ
सादर

Amrita Tanmay said...

शुभकामनाएँ ।

कविता रावत said...

बीता वर्ष भी कम नहीं चालू वर्ष से .... अपना-अपना महत्व है अपनी अपनी जगह है
बहुत खूब
नववर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनाएं

Sudha Devrani said...

बहुत सुन्दर.....
बीता वर्ष अतीत बन जाता है ....याद तो आता ही है चाहे अनचाहे..
सार्थक अभिव्यक्ति..
वाह!!!