बहुत ऊबड़-खाबड़ है सफ़र जिन्दगी का
ज़रा संभल के चलो,
न गिरो
न ठहरो
कुछ ऐंसे कदम तुम भरो,
चलो .. बढ़ो ... बढ़ते रहो
कौन आगे .. कौन पीछे .. इसमें उलझे न रहो,
बहुत ऊबड़-खाबड़ है सफ़र जिन्दगी का
ज़रा संभल के चलो ... !
~ श्याम कोरी 'उदय'
ज़रा संभल के चलो,
न गिरो
न ठहरो
कुछ ऐंसे कदम तुम भरो,
चलो .. बढ़ो ... बढ़ते रहो
कौन आगे .. कौन पीछे .. इसमें उलझे न रहो,
बहुत ऊबड़-खाबड़ है सफ़र जिन्दगी का
ज़रा संभल के चलो ... !
~ श्याम कोरी 'उदय'
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