"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
पहचान की बढ़ती दूरियाँ
समय की कहें… या वक्त का तकाजा !!
आपकी यह रचना आज बुधवार (23-10-2013) को ब्लॉग प्रसारण : 154 पर लिंक की गई है कृपया पधारें.एक नजर मेरे अंगना में ...''गुज़ारिश''सादर सरिता भाटिया
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पहचान की बढ़ती दूरियाँ
समय की कहें… या वक्त का तकाजा !!
आपकी यह रचना आज बुधवार (23-10-2013) को ब्लॉग प्रसारण : 154 पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
एक नजर मेरे अंगना में ...
''गुज़ारिश''
सादर
सरिता भाटिया
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