Sunday, October 20, 2013

जुगाड़ ...

कविताएँ तो मैं भी लिखता हूँ 
बस, मंच पर नहीं पढ़ता !

क्यों ? 
पढो, किसने रोका है ??

भईय्या, …  
अपनी उतनी जुगाड़ नहीं है !!

No comments: