Wednesday, August 28, 2013

मौकापरस्ती ...

सुनते हैं 'उदय, उनका पांच साली ठेका ख़त्म होने को है,.....फिर ?
'खुदा' जाने, होंगे जलालत भरे दिन, या हों सुरमयी शाम उनकीं ??
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तू न सही ...……….. कोई बात नहीं
जीने के लिए तेरी यादें बहुत काफी हैं ?
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रुपया, मान, ईमान, सम्मान, जितना चाहे उतना गिर जाये
पर 'उदय',........................ सरकार नहीं गिरना चाहिये ?
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सच ! वो तान दें चाहे जितनी भी ऊँची दीवार बीच में
दिल के अरमानों को छलांग लगानी आती है 'उदय' ?
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कदम-कदम पे उनकी साम्प्रदायिक मौकापरस्ती की चर्चा है
फिर भी, वो धर्मनिरपेक्षता का राग अलाप रहे हैं 'उदय' ???
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