Wednesday, April 10, 2013

कुसूर ...


क्या खूब अपार्टमेन्ट बनाया है 'खुदा' ने 
हर एक माले की, है अपनी अपनी खूबी ? 
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शर्त तुम्हारी, पद हमारा 
कहो अब क्या कहना है ?
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लो, उन्ने उन्हें हिट करने की सुपाड़ी ली है 
जैसे, वे खुद ही........साहित्यिक डॉन हों ?
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गर हम चाहेंगे तो सजदे में तुझे मांग लेंगे 
बाद उसके, 'खुदा' जाने या तू जाने ?????
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ये, उनके तंग लिबासों का कुसूर नहीं है 'उदय' 
हुस्न का जिस्म से छलकना भी तो जायज है ?
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4 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सन्नाट कटाक्ष

Rajendra kumar said...

आपको नवसंवत्सर की हार्दिक मंगलकामनाएँ!

Onkar said...

सुन्दर प्रस्तुति

Pratibha Verma said...

बेहतरीन रचना
पधारें "आँसुओं के मोती"