हम कैसे उनको उनके हाल पे छोड़ दें 'उदय'
आखिर, उनका होना ही तो हमारा होना है ?
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उफ़ ! जिनके चहरे पे झलक रहा है ढोंग
फिर भी उन्हें,...पंडित कह रहे हैं लोग ?
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तुम्हें तो अक्सर ही हम सुनते आये हैं 'उदय'
कभी हमारी भी तो तनिक सुन लिया कीजे ?
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तुम जब मिलते हो तो हम हंस लेते हैं, वर्ना
लाख बहाने भी कम पड़ते हैं हंसने के लिए ?
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सच ! आखिर उन्हें भी तो, खुद को आजमाना था
बस इसी फिराक में, वो देख के मुस्कुराए थे हमें ?
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2 comments:
बहुत सुन्दर
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति,अबह्र.
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