वैसे तो, आज का हर आदमी, कवि है, कलाकार है
बस, नहीं है तो,......एक अच्छा दुकानदार नहीं है ?
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उनकी सिसकियाँ थमने का नाम नहीं ले रही हैं 'उदय'
अब 'रब' ही जाने, कैसा जलजला आया है उन पर ??
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उनका भी अंदाज, कुछ अजब, कुछ गजब, कुछ निराला है
खुद को ही,........................... . खुद बधाई दे रहे हैं वो ?
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कश्मकश, सपने, महकती रातें, और वो बेबाक लिपटना तेरा
गर हम चाहें भी तो, कैसे...................भूल जायें वो मंजर ?
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मैंने तो 'उदय', सिर्फ आँख से शर्म का पर्दा हटाया है
यहाँ तो लोग हैं, जो जिस्म भी खुल्ला ही रखते हैं ?
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4 comments:
ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से आप सब को सपरिवार होली ही हार्दिक शुभकामनाएँ !
आज की ब्लॉग बुलेटिन होली के रंग, स्लो नेट और ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
मैंने तो 'उदय',सिर्फ आँख से शर्म का पर्दा हटाया है
यहाँ तो लोग हैं, जो जिस्म भी खुल्ला ही रखते हैं ?
chaa gaye bhai
सन्नाट..
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