न तो तुम चैन से मिलते हो, औ न मिलने देते हो
इस कदर बेचैनी का, ..........हम सबब तो जानें ?
...
लो, एक तो वो खुद ही, पंदौली दे रहे सरकार को
और हमसे कहते हैं, कि -........दगाबाज हैं वो ?
...
कभी टेड़ी, तो कभी सीधी, खुद-ब-खुद हो जाती है
उफ़ ! बहुत 'मुलायम' है................दुम उनकी ?
...
हमने तो 'उदय', उनके दिल को सहलाया भी था, औ बहलाया भी था
मगर, फिर भी .............................. ........ वो दगाबाज निकला ?
...
अब इसमें दोष उनका तनिक भी नहीं है 'उदय'
दरअसल, खरीददार ही बड़ा हुनरमंद निकला ?
...
No comments:
Post a Comment