जी चाहता है 'उदय', डूब जायें उनमें
गर खो भी गए तो गिला नहीं होगा ?
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लो, आज सारा शहर, हमसे.........बेइन्तहा नाराज है 'उदय'
वजह, कुछ ख़ास नहीं, कल हमने उनकी हाँ में हाँ नहीं भरी ?
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अब मर्जी तुम्हारी, जो चाहे नाम ले लो
बेरहम कह लो,.....या बेवफा कह लो ?
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लो, दफ़्न हो गई, कल.....एक और मुहब्बत
उनकी.......................... ..खामोशियों में ?
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झूठे दिलासों को....हथियार बनाया था उन्ने
और एक हम थे, जो उनपे एतबार करते रहे ?
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1 comment:
बहुत ही सुन्दर शेर.
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