उनकी खुशी के, कोई मिजाज तो देखे 'उदय'
मंद-मंद मुस्कुराते हैं परेशां देख कर हमको ?
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तुम उंगली पकड़ लो, या पगडंडी पकड़ा दो
फिर देखें, कैसे भूलते हैं हम घर तुम्हारा ?
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हदों में होते, तो वो हदें पार करते
दुम कुत्ते की, रहेगी टेड़ी की टेड़ी ?
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कुछ तो बोलो मियाँ, मौला, मेरे परवरदिगार
खब्बीसों को,.........क्यूँ मिला ऊँचा दरवार ?
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तुम्हारा दिल है,....................तु म्हारी मर्जी
पर, किसी और को चाहा, तो उसकी खैर नहीं ?
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2 comments:
बहुत खूब
nice
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