"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
मैं अपने लोकतंत्र काक्या कर पाउंगाघर पर तानाशाहजब हो जाउंगावोट देने चलागया तब भीमोहर तो अपनीही सोच की लगाउंगा !
गांधी बाबा के आदर्श माने जायें।
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मैं अपने लोकतंत्र का
क्या कर पाउंगा
घर पर तानाशाह
जब हो जाउंगा
वोट देने चला
गया तब भी
मोहर तो अपनी
ही सोच की लगाउंगा !
गांधी बाबा के आदर्श माने जायें।
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