उन्हें करने दो सितम, आज तो हम सह लेंगे
पर अब, किसी गद्दार को, वोट हम नहीं देंगे ?
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जब राजनैतिक भौं-भौं से परहेज है तुम्हें
फिर, मंच पे दुम क्यूँ हिला रहे हो मियाँ ?
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छपी है कविता पत्रिका में, और उन्हें फेसबुक पे प्रतिक्रिया की चाह है
'उदय' कोई समझाए हमें, ... हम दें ... प्रतिक्रिया ... तो कहाँ दें ???
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उन्हें तो, हक़ है टिप्पणी का, भले भद्दी ही सही
तुम औ हम कौन होते हैं उन्हें मना करने वाले ?
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सिर्फ नारी नहीं, वे तो सारे देश पे भारी हैं
सर हैं, ... सरकार हैं, ... असरदार हैं वो ?
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