कूटनीति ...
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न सुनेंगे, न कुछ कहेंगे
न सजा देंगे
न बक्शेंगे
उन्हें खडा रखेंगे !
रखे रहेंगे !!
बस -
इस तरह उन्हें थका देंगे !!!
वो हार जाएंगे ...
और हम ???
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दाग ...
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लो 'उदय', आज फिर
उनके
दामन पे दाग नजर आए हैं
अब देखना ये है
वो बचने को
करते क्या-क्या उपाय हैं ?
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अफवाहें ...
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अफवाहों के जहर ...
फिजाओं में !
किसी की सजा किसी और को !!
क्यों ?
कम से कम,
हवाओं को तो बक्श दो यारो ??
2 comments:
शानदार प्रस्तुती उदय जी ...
भारत को बख्श दो..
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