जिस बात के डर से 'उदय', लब उनके खामोश रहे थे सदा
लो, वही बात, आज उनकी आँखों ने, बेझिझक कह दी ?
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मुबारक हो तुम्हें, जी-हुजूरी औ चमचा-गिरी के हुनर
वैसे भी ....... अपुन को, तमगों की दरकार नहीं है ?
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लो, आज उन्ने, हमसे ही हमारा पता पूँछ लिया है
उफ़ ! अब हम किस्से पूँछें इरादे उनके ??
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