Friday, August 17, 2012

हुनर ...


ये लोग, किस जात - किस मजहब की बात कर रहे हैं 'उदय' 
कोई समझाए उन्हें, कि - हमें तो है सिर्फ वोटों से मतलब ? 
... 
हमें मालूम है 'उदय', कि - वो अपना जमीर बेच चुके हैं 
पर, हम भी मजबूर हैं, हाँथ फैलाएं तो फैलाएं कहाँ ?? 
... 
सच ! क्या खूब हुनर है उनकी नज़रों में 'उदय' 
बगैर मोल-भाव, जिसे चाहे उसे खरीद लेते हैं ? 

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

पता नहीं किसके क्या मतलब?