हम ढोंगी हैं
पाखंडी हैं
धंधेबाज हैं
फांदेबाज हैं
जो जी चाहे तुम्हारा, समझो !
तुम्हें किसने रोका है ?
चोर हैं
उचक्के हैं
दलाल हैं
मगर हम, फिर भी सरकार हैं !
हम अपनी मर्जी के हैं
मर्जी के रहेंगे
मर्जी का करेंगे
जो जी चाहे तुम्हारा, समझो !!
तुम्हें किसने रोका है ??
1 comment:
राजा हम, स्वीकार करो अब..
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