Tuesday, July 31, 2012

ऐ मूर्ख ...


ऐ मूर्ख ... तू खुद को ... बुद्धिमान समझता है !
कहता है !! ... मानता है !!!
क्या तुझे - 
कदम-कदम पे भृष्टाचार दिखता नहीं है ? 
या फिर - 
तेरा भी ... भ्रष्टाचारियों से कोई नाता है ?
या फिर, कहीं ऐंसा तो नहीं 
तू उनसे - 
नाता बनाने की ... किसी जुगत में है ?? 
या तू भी, उन -
निकम्मों, नालायकों, गद्दारों का वंशज है ??
जिन्होंने - 
देश से गद्दारी कर 
फिरंगियों का मान बढाया था ?? 
बता ? 
बोल ?? 
कुछ तो बोल ??? ................. ऐ मूर्ख !!!!!

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

भ्रष्टाचार का दीमक नित देश को थोड़ा थोड़ा खाये जा रहा है।