ऐ मूर्ख ... तू खुद को ... बुद्धिमान समझता है !
कहता है !! ... मानता है !!!
क्या तुझे -
कदम-कदम पे भृष्टाचार दिखता नहीं है ?
या फिर -
तेरा भी ... भ्रष्टाचारियों से कोई नाता है ?
या फिर, कहीं ऐंसा तो नहीं
तू उनसे -
नाता बनाने की ... किसी जुगत में है ??
या तू भी, उन -
निकम्मों, नालायकों, गद्दारों का वंशज है ??
जिन्होंने -
देश से गद्दारी कर
फिरंगियों का मान बढाया था ??
बता ?
बोल ??
कुछ तो बोल ??? ................. ऐ मूर्ख !!!!!
1 comment:
भ्रष्टाचार का दीमक नित देश को थोड़ा थोड़ा खाये जा रहा है।
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